गुदरोग में धूपन चिकित्सा का महत्व Fumigation in ano-rectal problems
Medicated fumigation in Ano-rectal problems
गुदरोग में धूपन चिकित्सा का महत्व
Author: Dr. Snehal Kadam
Senior Ayurveda Consultant and Proctologist
Director: ASIM Hospital, Surat, Gujrat
Ayurveda Fumigation therapy
आयुर्वेद धूपन चिकित्सा
गुदा रोग में इन्फ़ैकशन कंट्रोल कर पाना बहोत ही मुश्किल होता है। क्योंकि शरीर की सारी गंदगी मल के रूप मे गुद द्वार (Anus) से ही बाहर निकलती है। तो यहाँ के इन्फेक्शंस का नियमन करना लोहे के चने चबाने बराबर होता है। बार बार इन्फेक्शन होता रहता है। यह इन्फेक्शंस का रिकरंस रोकने के लिए, ज़ख़म भरने के लिए, वेदना शमन के लिए, धूपन एक बहुत ही कारगर चिकित्सा है।
आयुर्वेद यह आयुः मतलब जीवन का वेद है। तो प्राचीन संस्कृति मे जो भी कार्यों का वर्णन किया गया है, वह आयुर्वेद के अनुसार ही है। प्राचीन संस्कृति मे जो यज्ञ, अग्निहोत्र किए जाते थे, वो भी धूपन का ही एक प्रकार था।
ये धूपन कराते कैसे है?
How fumigation is done in Piles fissure problems?
कोयला या गोबर के उपलों को जलाकर उसका अंगार बनाना होता है। फिर वो धूपदानी धूपन टेबल (एक टेबल जिसमे बीच मे होल किया हो) के नीचे रखनी है। धूपन टेबल पर बैठना है, और थोड़ा थोड़ा धूपन द्रव्य अंगार मे डालना है। जिससे अंगार मे से धुआ निकलेगा, जो गुदा के इन्फेक्शन पर काम करेगा।
Benefits of fumigation
धूपन किटाणुनाशक और जीवाणुनाशक होता है। धूपन द्वारा रक्तवाहिनियों का विस्तार होता है। कोशिकाओं मे परफ्यूजन योग्य मात्र मे होने से ओक्सीजनेशन बढ़ जाता है। इस कारण सूजन और इन्फ़ैकशन मे धूपन द्वारा लाभ होता है। धूपन रक्तस्तंभक, वेदना शमन का भी कार्य करता है।
** Author is a qualified Ayurveda doctor and is practicing since past 14 years. The above article is for patient education and not a substitute for a medical advice. Dr. Snehal can be contacted through email asimhospital@gmail.com for any clarification or consultation.
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