स्वस्थ रहने के स्वर्णिम सूत्र | Healthy life style rules by Ayurveda

मुस्कुराहट में छिपी सेहत
अनिद्रा के ये आधुनिक कारण

स्वस्थ रहने के स्वर्णिम सूत्र

ayhealth

 आचार्य चरक के अनुसार;

ब्राहमेमुहूर्तेउत्तिस्ठेज्जीर्नाजीर्णाजीर्णेनिरुपयेत 

  • सदा ब्रह्ममुहूर्त (प्रातः 4-5 बजे) में भोजन के पाचन होने का विचार करते हुए उठना चाहिए। इस समय प्रकृति  मुक्तहस्त  से स्वास्थ्य, प्राणवायु, प्रसन्नता, मेघा, बुद्धि की वर्षा करती है।
  • बिस्तर से उठते ही मूत्र त्याग के पश्चात उषा पान अर्थात बासी मुँह 2-3 गिलास शीतल जल के सेवन की आदत सिरदर्द, अम्लपित्त, कब्ज, मोटापा, रक्तचाप, नैत्र रोग, अपच सहित कई रोगों से हमारा बचाव करती है।
  • स्नान सदा सामान्य शीतल जल से करना चाहिए। (जहाँ निषेध न हो)
  • स्नान के समय सर्वप्रथम जल सिर पर डालना चाहिए, ऐसा करने से मस्तिष्क की गर्मी पैरों से निकल जाती है।
  • दिन में 2 बार मुँह में जल भरकर, नैत्रों को शीतल जल से धोना नेत्र दृष्टि के लिए लाभकारी है।
  • नहाने से पूर्व, सोने से पूर्व एवं भोजन के पश्चात् मूत्र त्याग अवश्य करना चाहिए। यह आदत आपको कमर दर्द, पथरी तथा मूत्र सम्बन्धी बीमारियों से बचाती है।
  • सरसों, तिल या अन्य औषधीय तेल की मालिश नित्यप्रति करने से वात विकार,, बुढ़ापा, थकावट नहीं होती है। त्वचा सुन्दर , दृष्टि स्वच्छ एवं शरीर पुष्ट होता है।
  • शरीर की क्षमतानुसार प्रातः भ्रमण, योग, व्यायाम करना चाहिए।
  • अपच, कब्ज, अजीर्ण, मोटापा जैसी बीमारियों से बचने के लिए भोजन के 30 मिनट पहले तथा 30 मिनट बाद तक जल नहीं पीना चाहिए। भोजन के साथ जल नहीं पीना चाहिए। घूँट-दो घूँट ले सकते हैं।
  • दिनभर में 3-4 लीटर जल थोड़ा-थोड़ा करके पीते रहना चाहिए।
  • भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • भोजन के उपरान्त वज्रासन में  5-10 मिनट बैठना तथा बांयी करवट 5-10 मिनट लेटना चाहिए।
  • भोजन के तुरन्त बाद दौड़ना, तैरना, नहाना, मैथुन करना स्वास्थ्य के बहुत हानिकारक है।
  • भोजन करके तत्काल सो जाने से पाचनशक्ति का नाश हो जाता है जिसमें अजीर्ण, कब्ज, आध्मान, अम्लपित्त जैसी व्याधियाँ हो जाती है। इसलिए सायं का भोजन सोने से 2 घन्टे पूर्व हल्का एवं सुपाच्य करना चाहिए।
  • शरीर एवं मन को तरोताजा एवं क्रियाशील रखने के लिए औसतन 6-7 घन्टे की नींद आवश्यक है।
  • गर्मी के अलावा अन्य ऋतुओं में दिन में सोने एवं रात्री में अधिक देर तक जगने से शरीर में भारीपन, ज्वर, जुकाम, सिर दर्द एवं अग्निमांध होता है।
  • दूध के साथ दही, नीबू, नमक, तिल उड़द, जामुन, मूली, मछली, करेला आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। त्वचा रोग एवं ।ससमतहल होने की सम्भावना रहती है।
  • स्वास्थ्य चाहने वाले व्यक्ति को मूत्र, मल, शुक्र, अपानवायु, वमन, छींक, डकार, जंभाई, प्यास, आँसू नींद और परिश्रमजन्य श्वास के वेगों को उत्पन्न होने के साथ ही शरीर से बाहर निकाल देना चाहिए।
  • रात्री में सोने से पूर्व दाँतों की सफाई, नैत्रों की सफाई एवं पैरों को शीतल जल से धोकर सोना चाहिए।
  • रात्री में  शयन से पूर्व अपने किये गये कार्यों की समीक्षा कर अगले दिन की कार्य योजना बनानी चाहिए। तत्पश्चात् गहरी एवं लम्बी सहज श्वास लेकर शरीर को एवं मन को शिथिल करना चाहिए। शान्त मन से अपने दैनिक क्रियाकलाप, तनाव, चिन्ता, विचार सब परात्म चेतना को सौंपकर निश्चिंत भाव से निद्रा की गोद में जाना चाहिए।
मुस्कुराहट में छिपी सेहत
अनिद्रा के ये आधुनिक कारण

5 comments

  • Dr Yograj Singh Khetal

    आयुर्वेदोक्त जीवन शैली ही मात्र अपनाने से मनुष्य के ७०% रोग ठीक हो जाते हैं और ९९%रोग न होने की गारंटी होती है

    क्योंकि आयुर्वेद में प्रथम:-
    स्वस्थस्य् स्वास्थ्य रक्षणम्
    तत्पश्चात:-
    आतुरस्य् रोग प्रशमनम् च
    अत:आयुर्वेद ही एकमात्र ऐसा चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य को आहार विहार कैसा हो,ताकि रोगों की उत्पत्ति ही न हो, पहले सिखाती है।तत्पश्चात चिकित्सकीय कर्म सम्पादित करने का विधान बताया है।

  • krishan sharan singh

    sir,
    I am suffering by allergy.this may be skinny or blod allergy.what should i do to overcome .

  • सुझाव बहुत ही अच्छा है

  • i am happy to get a very useful tips for rutting lifestyle and i follow daily above tips

  • Thanks for the blog.Nice to know about Healthy Life Style rules by Ayurveda information.You can also check.
    Healthy Life Style rules by Ayurveda

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *