कुटीप्रावेशिक रसायन | Rejuvenation therapy at indoor basis

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कुटीप्रावेशिक रसायन | Rejuvenation therapy at indoor basis

 

कुटीप्रावेशिक और वातातपिक रसायन सेवन के योग्य कौन?

जो व्यक्ति सभी साधन एकत्रित करने में समर्थ हों, स्वस्थ हों, चिंता मुक्त हों, बुद्धिमान हों, चंचल ना हों, जिनके पास समय की कमी न हो और वे परिवार और धनयुक्त हों; ऐसे व्यक्ति को कुटीप्रावेशिक विधि के द्वारा रसायन का सेवन करना चाहिए। अन्य सभी को वातातापिक विधि से रसायन का सेवन करना चाहिए।

दोनों विधियों में श्रेष्ठ कौन?

कुटीप्रावेशिक विधि से रसायन सेवन जल्दी लाभ देने वाला होता है परंतु वर्तमान समय में हर व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि इसमें समय और धन दोनों ही चाहिए व कई बार इसमें उपद्रव होने की संभावना भी रहती है। यद्यपि फ़ायदों को देखा जाये तो कुटीप्रावेशिक विधि श्रेष्ठ है, परंतु यह थोड़ा कठिन है, अतः सामान्यतः वातातपिक विधि से ही ज़्यादातर लोग रसायन का सेवन करना पसंद करते हैं। दोनों ही प्रकार से रसायन का सेवन कुशल वैद्य के निर्देशन में ही करना चाहिए।  

कैसे किया जाता है कुटीप्रावेशिक रसायन का प्रयोग?

रसायन सेवन के लिए निर्मित कुटी की विशेषताएँ (Properties of Health resort used for rejuvenation therapy)

  • ऐसे स्थान पर बनी हो जहां पुण्य करने वाले लोग निवास करते हों।
  • ऐसे स्थान पर बनी हो जो भयरहित हो, और जहाँ सभी आवश्यक वस्तुएँ आसानी से मिल सकें।
  • नगर के पूर्वोत्तर दिशा में अच्छी भूमि पर निर्मित हो।
  • जिसकी लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई पर्याप्त हो।
  • कुटी त्रिगर्भा हो अर्थात तीन ऐसे कमरों से बनी हो जो एक दूसरे के अंदर बने हों और उसमें छोटे छोटे झरोखे हों।
  • जिसमें अप्रिय और अनुचित शब्द का प्रवेश ना होता हो।
  • स्त्रियों से रहित हो, सभी आवश्यक सामाग्री से युक्त हो।
  • जहाँ वैद्य, औषधियाँ और ज्ञानी लोग विद्यमान हों।

कुटी में प्रवेश करने की विधि  (Method to enter a Health resort for rejuvenation)

सूर्य के उत्तरायन होने पर, शुक्ल पक्ष में, उत्तम तिथि और नक्षत्र हो, शुभ मुहूर्त में वैद्य के निर्देशानुसार पूजन आदि करके कुटी में प्रवेश करना चाहिए।

कुटी में प्रवेश करने के बाद पंचकर्म द्वारा शरीर का संशोधन करके ही रसायन का प्रयोग करना चाहिए। संशोधन के लिए हरीतक्यादी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है।

कौन सी औषधियाँ हैं रसायन?

chprash brahmrasayan

आचार्य चरक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता में विभिन्न रसायन औषधि योगों का विस्तार से वर्णन किया है, इनमें से प्रमुख निम्न हैं;

  1. ब्राह्म रसायन – यह आंवला के साथ अनेक शक्तिवर्धक औषधियों जैसे दशमूल, जीवनीय पंचमूल, वनमूंग, वन उड़द, पिप्पली, शंखपुष्पी, चन्दन आदि औषधियों के संयोग से निर्मित किया जाता है।

लाभ –   ब्राह्म रसायन का प्रयोग करने वाला व्यक्ति रोगरहित, दीर्घायु और महाबलवान होता है। वह चंद्रमा और सूर्य के समान तेजस्वी होता है और जो कुछ अध्ययन करता या सुनता है, उसे धारण कर लेता है और उसका मन शुद्ध रज-तम से रहित सत्व गुण प्रधान हो जाता है।

  1. च्यवनप्राश – वर्तमान में प्रचलित आयुर्वेदीय रसायन औषधियों में शायद च्यवनप्राश सर्वाधिक लोकप्रिय और बिकने वाला उत्पाद है। इसका मुख्य घटक आंवला है। आंवले के अतिरिक्त इसमें 50 से भी अधिक अत्यंत गुणकारी आयुर्वेदिक वनस्पति औषधियों का प्रयोग किया जाता है; जैसे – गुडूची, दशमूल, अष्टवर्ग, पिप्पली, दालचीनी, वंशलोचन, इलायची, मोथा, भूमिआंवला, देशी घी, तिल तेल आदि।

लाभ – च्यवनप्राश कास (खांसी), श्वास (अस्थमा), फेफड़ों की कमजोरी को दूर करता है। यह रस-रक्त आदि धातुओं का पोषण करता है, इंद्रियों में बल की वृद्धि करता है, काम-शक्ति बढ़ाता है, इम्यूनिटी बढ़ाता है। च्यवनप्राश का प्रयोग यदि कुटीप्रवेशिक विधि से वैद्य की देख-रेख में किया जाये तो वृद्ध व्यक्ति भी वृद्धता के लक्षणों को त्यागकर युवा बन जाता है। इसके प्रयोग से ही महर्षि च्यवन पुनः जवान हो गए थे।

 

अगले अंक में जानिए अन्य रसायन औषधियों और वाततापिक रसायन के बारे में !   

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