वसंत ऋतु में खान पान; Lifestyle in spring season as per Ayurveda (Hindi)
वसंत ऋतु में खान पान
हमारा देश, देवभूमि, भारत ही विश्व में एक ऐसा देश है जहाँ छः ऋतुएँ होती हैं। वसंत ऋतु को ऋतुराज याने कि ऋतुओं का राजा कहा गया है। वसंत ऋतु में जहाँ पलाश के पेड़ की सारी की सारी पत्तियाँ झड़ जाती हैं वहीं वह रक्त के सदृश लाल रंग वाले फूलों से लद जाता है और उसकी शोभा देखते ही बनती है। सेमल पेड़ की फुनगियों पर भी लाल लाल फूलों का सौन्दर्य मन को मुग्ध करता है।
वसंत ऋतु मानव मन को मादक तो बनाता है पर शीत ऋतु में बढ़ चुकी पाचन शक्ति को कमजोर भी करता है। अतः वसंत ऋतु में गरिष्ठ भोजन जैसे कि मिठाई, तली हुए खाद्य पदार्थ आदि का सेवन वर्जित माना गया है। वसंत ऋतु में सूखे मेवे, दही, आईसक्रीम, खट्टे मीठ फल आदि भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं। इस ऋतु में हल्का तथा सुपाच्य भोजन जो कि कम तेल व घी में बने हुए हों, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण खाद्य पदार्थों के सेवन को उचित माना गया है। करेला, मेथी, ताजी मूली, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग, लाई, मुरमुरे, अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, आदि वसंत ऋतु में उत्तम होते हैं।
वसंत ऋतु में भरपेट भोजन न कर के कुछ कम भोजन करने तथा 15 दिनों उपवास रखने को स्वास्थ्य के लिए हितकारी माना गया है।
लेखकः डा० कुलदीप चौहान
सचिव, आयुर्जीवनम सेवा समिति, रामपुर (उ०प्र०)
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