डायबिटीज जिसे डॉक्टर डायबिटीज मेल्लिट्स भी कहते हैं आजकल प्रायः हर घर में पायी जाने वाली एक सामान्य बीमारी है। इसमें मनुष्य के रक्त में ग्लूकोस की मात्रा सामान्य से काफी बढ़ी हुई पायी जाती है। इसके कई कारण होते हैं। सामान्यतः या तो शरीर में इन्सुलिन कम मात्रा में स्त्रावित होता है या फिर शरीर स्त्रावित हो रहे इन्सुलिन के प्रति समुचित रूप से प्रतिक्रिया नहीं कर रहा होता है। इससे ग्रस्त लोगों में तीन लक्षण मुख्य रूप से पाए जाते हैं- पौलियूरिया (अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाना), पौलिडिपसिया (बहुत अधिक प्यास लगना), पौलिफेजिया (बहुत अधिक भूख लगना )
1. बहुत अधिक मोटापा
2. बहुत ज्यादा स्टार्च युक्त वस्तुएं खाना जैसे चीनी, आलू, चावल
3. व्यायाम न करना
4. बहुत अधिक समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहना
5. आलसी होना
6. बहुत अधिक तली हुयी चीज़ें खाना
7. अनुवांशिक कारण- जब पिता को डायबिटीस हो तो बेटियों में यह बीमारी होने का अनुपात अधिक होता है।
आजकल प्राय सभी लोगों में शारीरिक गतिविधियाँ काफी कम हो गयीं हैं। पहले काफी लोग खेतों में काम किया करते थे। इसमें कड़ी मेहनत लगती थी। सुबह से शाम तक वहीँ काम करने के बाद ही किसान घर आया करते थे। इसके कारण भोजन का पाचन भी ठीक होता था और दिन भर में जो भी मीठा लोगों ने खाया हुआ था वह पच जाता था। स्त्रियाँ भी घर में बहुत काम करती थीं। घरों में गाय या भैस पाली जाती थी जिसकी देखभाल में काफी शारीरिक व्यायाम हुआ करता था और यह सभी काम स्त्रियाँ करती थीं। इससे उनमें ग्लूकोस की मात्रा संतुलित हो जाती थी। अब ज़रा एक नजर आज की जीवन शैली पर डालिए। जिस दिन ऑफिस जाना हो, उस दिन पुरुष सुबह जैसे तैसे ढेर सारे टेंशन के साथ 7 या 7.30 पर सोकर उठते हैं। फटाफट नहाए, दूध पीना तो शायद बड़े भूल ही गए हैं, इसलिए चाय या कॉफी पी जाती है, नाश्ते में जल्दी से किसी भी तरह ब्रेड खाई और बैग उठाकर चल दिए। यदि पति पत्नी दोनों काम करते हों तो दोनों बेचारे ऐसे ही भागते हैं। बच्चों को भी रास्ते में स्कूल छोड़ते हुए जाते हैं।
अपने अपने ऑफिस में पहुंचकर 6 घंटे तक लगातार कम्प्यूटर के सामने बैठना होता है। ऑफिस में भी अच्छा ख़ासा टेंशन होता ही है। बीच में खाने की छुट्टी होने पर बच्चों को लेने के लिए पति पत्नि में से कोई एक चला जाता है। शाम को फिर ऑफिस के बाद दोनों थक कर बसों में धक्का खाकर घर चले जाते हैं। घर पहुंचकर फिर जैसे तैसे भोजन में कुछ भी बनाया और खा लिया। अगले दिन फिर वही दिनचर्या। जिस दिन छुट्टी होती है उस दिन सभी लोग काफी देर में सोकर उठते हैं। नाश्ता भी देर में होता है और खाने में कुछ भारी बनाया जाता है।खा पीकर फिर सो गए। शाम को फिर चाय कॉफ़ी पी ली। देर रात तक टी वी देखा और मैटरस के गुदगुदे गद्दे पर सो गए। अब आप ही बताइये ऐसी दिनचर्या से खुद आप क्या पाना चाहते हैं सिवाय बीमारी के?
डायबिटीज से होने वाले अन्य उपद्रव –
1. इससे आगे चलकर हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है।
2. अगर इसपर रोक न लगाई जाय तो त्वचा की कई बीमारियाँ हो जाती हैं।
3. आँखों की रौशनी धीरे धीरे कम हो जाती है।
4. किडनी खराब हो जाती है।
5. यदि चोट लग जाए तो वह घाव जल्दी भरता नहीं है।
6. हृदय की बीमारियाँ अधिक होती हैं।
7. दातों और मसूड़ों की बीमारियाँ अधिक होती हैं।
8. पैरों में दर्द बना रहता है।
9. पुरुषों में प्रजनन की क्षमता कम हो जाती है।
10.डायबिटिक लोगों में इन्फेक्शन अधिक होते हैं।
डायबिटीज से बचाव –
1. डायबिटीज में यह आवश्यक है की चिकित्सा के साथ साथ खान पान से रक्त में शुगर की मात्रा पर रोक थाम रखी जाए।
2. सबसे पहले अपने जीवन में व्यायाम को एक महत्वपूर्ण स्थान दें।
3. आलस्य को छोडकर ढेर सारा काम करने की आदत डालें।
4. हो सके तो घर का काम मेड से करवाने की बजाय खुद करें।
5. भोजन में मीठे पदार्थों को बहुत कम स्थान दें।
6. आलू और चावल को भी अपने जीवन में कम ही स्थान दें तो अच्छा होगा। हो सके तो टेंशन कम करें।
डायबिटीज की सामान्य आयुर्वेद चिकित्सा –
1. आयुर्वेद के अनुसार भोजन में कषाय रस प्रधान पदार्थों का प्रयोग होना चाहिए यानि अपने खान पान में कडवी चीज़ों को स्थान दें।
2. नीम के पेड़ से दोस्ती करें। इसकी डाली , पत्तियां, फूल लेकर पानी में उबालें। इसका काढा बनाकर रोज़ सुबह शाम पीया करें।
3. मेथी का साग खाएं और मेथी के बीज को पानी में रात भर भिगोयें और सुबह उसका पानी पिया करें।
4. भिन्डी को पानी में अच्छी तरह से धो लें और उसके नुकीले हिस्से को काट दें। इसके बाद उसे पानी में भिगो दें। कुछ घंटे बाद उसका पानी पी जाएँ।
5. करेले की सब्जी खाना प्रारंभ कर दें।
6. जामुन के फल और उसके बीजों का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में हर रोज़ सुबह शाम खाया करें।
7. हरसिंगार के 3-4 पत्तों को पानी में डालकर उनका काढा बनाएं और उसे सुबह खाली पेट पिया करें
8. सदाबहार के फूलों को चबाया करें।
9. मैदा कम खाएं और चोकर युक्त आटे और जौ के आटे की रोटी खाया करें।
10. हर रोज़ 4 कि.मी. या फिर 45 मिनट तेज़ गति से चला करें।
11. हमारे अनेक रोगियों ने उपरोक्त उपायों के साथ साथ मंडूकासन भी किया तो जल्दी आराम हो गया।
विशेष –
मेरे पास ऐसे अनेक रोगी आते हैं जिन्हें वर्षों से ऎसी बीमारी है ; और इलाज में बहुत पैसा लग चुका है। डायबिटीज़ के गरीब मरीजों को और जनसामान्य के हित के लिए इसकी प्रारंभिक चिकित्सा बतायी जा रही है। आपको सलाह दी जाती है कि यदि आप पैसा खर्च करने में समर्थ नहीं हैं तो यह उपचार अवश्य करें। परन्तु इनसे भी आराम न मिले तो किसी डिग्रीधारी आयुष चिकित्सक से मिलकर उनके परामर्श द्वारा इसकी चिकित्सा करें। खुद से ही , टी.वी. मीडिया में आने वाले विज्ञापनों से प्रभावित होकर या किसी के कहने सुनने के आधार पर कोई चिकित्सा न करें अन्यथा इससे होने वाले परिणामों के आप स्वयं ज़िम्मेदार होंगे।
याद रखिये मित्रों डायबिटीज से खुद को बचाना आपकी अपनी ज़िम्मेदारी है। क्योंकि यह बीमारी यदि एक बार हो जाए तो फिर जीवन भर नहीं जाती। इससे आजीवन ग्रस्त रहने से अच्छा है कि पहले से ही अपने भोजन व आदतों पर ध्यान दिया जाए। सिर्फ दवाई खाने से आपकी ज़िम्मेदारी दूर नहीं हो जाती। गर्भवती महिलाओं को यदि डायबिटीज हो तो इसका विपरीत प्रभाव उसके शिशु पर पढ़ सकता है। इसलिए आजकल गर्भावस्था में डॉक्टर शुगर की जांच अनिवार्य रूप से करवाते हैं। आपको डायबिटीज पर रोक थाम करने के लिए खुद भी मेहनत करनी ही पड़ेगी ताकि आपके साथ साथ परिवार के सभी लोग खुश रह सकें।
आप सभी का जीवन निरोग और खुशहाल बना रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ
“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥“
शेष अगली पोस्ट में…..
प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में,
आपका अपना,
डॉ.स्वास्तिक
चिकित्सा अधिकारी
( आयुष विभाग , उत्तराखंड शासन )
(निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )